Kidney Cyst

किडनी सिस्ट यानी किडनी में बने छोटे फ्लुइड से भरे थैले। यह किसी को भी हो सकते हैं और ज्यादातर हानिरहित होते हैं। कई बार तो इनका पता भी नहीं चलता और ये बिना किसी समस्या के बने रहते हैं। लेकिन कुछ केस में ये परेशानियाँ और दर्द पैदा कर सकते हैं। इस ब्लॉग में हम किडनी सिस्ट के लक्षण, डायग्नोसिस, ट्रीटमेंट, रिस्क और प्रिवेंशन के बारे में जानेंगे।

किडनी सिस्ट क्या हैं?

किडनी सिस्ट छोटे फ्लुइड से भरे थैले होते हैं जो किडनी में बन जाते हैं। किडनी हमारे शरीर के दो मुख्य अंग हैं जो पीठ के निचले हिस्से में रीढ़ के दोनों ओर होते हैं। किडनी सिस्ट दो प्रकार के होते हैं:

1. सिंपल किडनी सिस्ट: ये आमतौर पर छोटे और पतली दीवार वाले होते हैं, जो ज्यादातर किसी बड़ी हेल्थ प्रॉब्लम का कारण नहीं बनते।


2. कॉम्प्लेक्स किडनी सिस्ट: इनकी दीवार मोटी होती है या इनका शेप असामान्य होता है। इनमें कभी-कभी कैंसर का रिस्क भी हो सकता है।



अधिकांश लोग सिंपल सिस्ट के साथ बिना किसी समस्या के रहते हैं।

किडनी सिस्ट के लक्षण

ज्यादातर किडनी सिस्ट का कोई खास लक्षण नहीं होता। अक्सर ये तभी पता चलते हैं जब किसी और समस्या के लिए स्कैन कराया जाता है। लेकिन अगर सिस्ट बड़ी हो जाती है, तो ये कुछ लक्षण दे सकती है:

पीठ या साइड में दर्द: बड़े सिस्ट के कारण पीठ, साइड या पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द हो सकता है।

बुखार: सिस्ट में इंफेक्शन हो सकता है, जिससे बुखार और असुविधा महसूस हो सकती है।

यूरीन में ब्लड: कई बार सिस्ट के कारण यूरीन में खून आ सकता है।

बार-बार यूरीन आना: किडनी पर दबाव पड़ने के कारण बार-बार यूरीन आ सकता है।

हाई ब्लड प्रेशर: कुछ मामलों में किडनी सिस्ट ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है।


अगर आप इनमें से किसी लक्षण का अनुभव कर रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।

किडनी सिस्ट का कारण

सिंपल किडनी सिस्ट का कारण साफ नहीं है, लेकिन यह उम्र के साथ होने लगती हैं। 50 साल की उम्र तक लगभग आधे लोगों में कोई न कोई किडनी सिस्ट हो सकती है।

कुछ कारण जो सिस्ट का रिस्क बढ़ा सकते हैं:

पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (PKD): यह एक अनुवांशिक बीमारी है जिसमें किडनी में सिस्ट का गुच्छा बन जाता है।

बढ़ती उम्र: उम्र बढ़ने के साथ सिस्ट का खतरा भी बढ़ जाता है।

किडनी डिजीज: जिन लोगों को पहले से किडनी की समस्याएं होती हैं, उनमें सिस्ट का रिस्क बढ़ जाता है।

किडनी सिस्ट का डायग्नोसिस कैसे होता है?

किडनी सिस्ट का डायग्नोसिस कुछ टेस्ट के जरिए किया जाता है। आमतौर पर डॉक्टर इसके लिए इमेजिंग टेस्ट का इस्तेमाल करते हैं ताकि सिस्ट का प्रकार और स्थिति देखी जा सके।

1. मेडिकल हिस्ट्री और फिजिकल एग्जामिनेशन: डॉक्टर आपके लक्षण और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछते हैं। वह पेट या पीठ में किसी दर्द की भी जांच कर सकते हैं।


2. इमेजिंग टेस्ट:

अल्ट्रासाउंड: यह साउंड वेव्स का उपयोग करके किडनी की इमेज बनाता है और सिस्ट को पहचानने में सहायक है।

CT स्कैन: यह किडनी की डिटेल्ड इमेज देता है, जिससे कॉम्प्लेक्स सिस्ट का पता चलता है।

MRI: कॉम्प्लेक्स सिस्ट की स्पष्ट तस्वीर के लिए MRI का उपयोग होता है।



3. ब्लड और यूरीन टेस्ट: ब्लड टेस्ट से यह पता चलता है कि किडनी ठीक से काम कर रही है या नहीं।

किडनी सिस्ट का ट्रीटमेंट

अधिकांश सिंपल किडनी सिस्ट को ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती। अगर सिस्ट कोई समस्या नहीं दे रही है तो डॉक्टर “वॉच एंड वेट” का सुझाव दे सकते हैं। लेकिन अगर सिस्ट बड़ी है या दर्द दे रही है, तो कुछ ट्रीटमेंट ऑप्शन हैं:

1. एस्पिरेशन और स्क्लेरोथेरेपी: इस प्रक्रिया में सिस्ट से फ्लुइड निकाल दिया जाता है और इसमें एक खास तरह का केमिकल डाला जाता है ताकि यह दोबारा न भरे।


2. सर्जरी: अगर सिस्ट बड़ी है और दर्द का कारण बन रही है, तो इसे निकालने के लिए सर्जरी करनी पड़ सकती है।


3. दवाएं: दर्द और इंफेक्शन के लिए दर्द निवारक और एंटीबायोटिक्स दी जा सकती हैं।


4. ब्लड प्रेशर कंट्रोल: अगर सिस्ट ब्लड प्रेशर बढ़ा रही है, तो उसे नियंत्रित करने के लिए दवाएं दी जा सकती हैं।

किडनी सिस्ट से जुड़े रिस्क

किडनी सिस्ट के कुछ रिस्क हो सकते हैं, खासकर बड़ी या कॉम्प्लेक्स सिस्ट के मामले में:

इंफेक्शन: सिस्ट में इंफेक्शन होने से बुखार, ठंड और दर्द हो सकता है।

फट जाना: कुछ मामलों में, सिस्ट फट सकती है जिससे अचानक दर्द और खून आ सकता है।

किडनी फंक्शन में रुकावट: बड़ी सिस्ट किडनी के काम में रुकावट डाल सकती है।

कैंसर का खतरा: कॉम्प्लेक्स सिस्ट में कैंसर का थोड़ा रिस्क होता है।


इसलिए, अगर आपको किडनी सिस्ट है, तो डॉक्टर के नियमित फॉलो-अप करना जरूरी है।

किडनी सिस्ट की रोकथाम

सिंपल किडनी सिस्ट की रोकथाम का कोई निश्चित तरीका नहीं है, लेकिन हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से इनसे जुड़ी परेशानियाँ कम हो सकती हैं। कुछ सुझाव हैं:

1. पर्याप्त पानी पिएं: पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से किडनी हेल्दी रहती है।


2. संतुलित डाइट लें: फल, सब्जियां, लीन प्रोटीन और साबुत अनाज से भरपूर डाइट किडनी के लिए अच्छी होती है।


3. नियमित एक्सरसाइज करें: एक्सरसाइज से ब्लड सर्कुलेशन अच्छा रहता है और ब्लड प्रेशर नियंत्रित होता है।


4. ब्लड प्रेशर चेक करते रहें: हाई ब्लड प्रेशर किडनी की समस्याओं का कारण बन सकता है, इसलिए उसे कंट्रोल में रखना जरूरी है।


5. स्मोकिंग और शराब से बचें: स्मोकिंग और अधिक शराब किडनी पर असर डाल सकती है।

किडनी सिस्ट के साथ जीवन

ज्यादातर लोग किडनी सिस्ट के साथ बिना किसी समस्या के रहते हैं। अगर आपको किडनी सिस्ट है तो इन बातों का ध्यान रखें:

जानकारी रखें: अपनी सिस्ट के प्रकार के बारे में समझें और डॉक्टर से पूछताछ करें।

लक्षणों को मॉनिटर करें: किसी भी नए लक्षण पर ध्यान दें।

नियमित फॉलो-अप करें: नियमित चेकअप से यह सुनिश्चित होता है कि सिस्ट कोई समस्या तो नहीं पैदा कर रही।

निष्कर्ष

किडनी सिस्ट सामान्यत: हानिरहित होती हैं, खासकर सिंपल सिस्ट। हालांकि, सही जानकारी और लाइफस्टाइल अपनाने से संभावित रिस्क कम हो सकते हैं।

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