By Dr Aditya Sharma

Rezum therapy
Rezum for BPH


परिचय
बेनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (BPH) एक आम समस्या है जो उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों को प्रभावित करती है। यह स्थिति प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने के कारण होती है, जो मूत्रमार्ग पर दबाव डालती है और पेशाब से संबंधित समस्याओं का कारण बनती है। इससे पेशाब की आवृत्ति, तात्कालिकता और मूत्राशय को पूरी तरह से खाली न कर पाने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। BPH से प्रभावित पुरुषों की जीवनशैली पर इसका काफी नकारात्मक असर पड़ सकता है।

पारंपरिक इलाज में दवाइयों और सर्जरी जैसी विकल्प शामिल होते हैं, लेकिन हाल ही में आई रेजूम थेरेपी ने एक नई उम्मीद दी है। यह एक न्यूनतम इनवेसिव उपचार है जिसमें पानी की भाप का उपयोग करके प्रोस्टेट ऊतक को कम किया जाता है, जिससे BPH के लक्षणों से राहत मिलती है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि रेजूम थेरेपी क्या है, यह कैसे काम करती है, और क्यों यह BPH के इलाज में एक अहम बदलाव साबित हो रही है।




BPH और इसके लक्षणों को समझना

BPH क्या है?
सबसे पहले, यह जानना जरूरी है कि BPH क्या है। बेनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (BPH) एक ऐसी स्थिति है जिसमें प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ जाती है। उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों में हार्मोनल बदलाव के कारण यह ग्रंथि बढ़ने लगती है, जो मूत्रमार्ग पर दबाव डालती है और मूत्र के बहाव में रुकावट पैदा करती है।

BPH का प्रोस्टेट कैंसर से कोई संबंध नहीं होता, यह एक गैर-कैंसरकारी स्थिति है। हालांकि, इसके कारण पेशाब में रुकावट और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं जो पुरुषों के लिए परेशानी का कारण बनती हैं।

लक्षण और जीवन की गुणवत्ता पर प्रभाव
BPH के लक्षण कई प्रकार के होते हैं। सामान्य लक्षणों में बार-बार पेशाब आना, विशेषकर रात में (रात में पेशाब आने को नोक्ट्यूरिया कहते हैं), पेशाब की धार का कमजोर होना, और पेशाब के बाद मूत्राशय में अधूरापन महसूस करना शामिल हैं। इसके अलावा, पेशाब की तत्काल आवश्यकता का अनुभव भी होता है, जिससे दैनिक गतिविधियों में बाधा आती है।

इन लक्षणों के कारण कई पुरुषों की जीवन की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है। रात में बार-बार उठकर पेशाब करना नींद में खलल डालता है, जिससे थकान, चिड़चिड़ापन और उत्पादकता में कमी आती है। कामकाजी और सामाजिक जीवन पर भी इसका असर पड़ता है।

BPH




BPH के लिए मौजूदा उपचार

जीवनशैली में बदलाव
यदि लक्षण हल्के हों, तो डॉक्टर जीवनशैली में बदलाव करने की सलाह देते हैं। कैफीन और शराब की मात्रा को सीमित करना, द्रव का सेवन सही समय पर करना, और रात में पानी का सेवन कम करने जैसे बदलाव से राहत मिल सकती है।

दवाइयाँ
जब लक्षण बढ़ने लगते हैं, तो दवाइयों का सहारा लिया जाता है। अल्फा-ब्लॉकर्स जैसे टैम्सुलोसिन और 5-अल्फा रिडक्टेस इनहिबिटर जैसे फिनास्टराइड का उपयोग किया जाता है। ये दवाइयाँ प्रोस्टेट को संकुचित करती हैं और पेशाब में सुधार लाती हैं। हालांकि, इनके कुछ साइड इफेक्ट्स भी होते हैं जैसे चक्कर आना और थकान।

सर्जिकल विकल्प
गंभीर मामलों में सर्जरी की सलाह दी जाती है। सर्जरी में प्रोस्टेट के कुछ हिस्सों को हटाकर पेशाब के रास्ते को खोला जाता है। सर्जरी प्रभावी होती है, लेकिन इसके साथ जोखिम भी होता है जैसे कि पेशाब की अनियंत्रता और नपुंसकता।




रेजूम थेरेपी का परिचय

रेजूम थेरेपी क्या है?
रेजूम थेरेपी एक नई तकनीक है जिसमें प्रोस्टेट ऊतक को कम करने के लिए पानी की भाप का उपयोग किया जाता है। यह एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है जो BPH के लक्षणों को कम करने में सहायक है। यह प्रक्रिया एफडीए द्वारा अनुमोदित है और इसके प्रभावी परिणामों के कारण तेजी से लोकप्रिय हो रही है।

रेजूम थेरेपी कैसे काम करती है?
रेजूम थेरेपी में पानी की भाप की थर्मल ऊर्जा का उपयोग करके प्रोस्टेट के अतिरिक्त ऊतक को नष्ट किया जाता है। इस प्रक्रिया में, एक उपकरण के माध्यम से पानी की भाप को सीधे प्रोस्टेट में इंजेक्ट किया जाता है। भाप की गर्मी से कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं, जो बाद में शरीर द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं और प्रोस्टेट सिकुड़ जाता है।

रेजूम थेरेपी के लाभ
रेजूम थेरेपी का सबसे बड़ा लाभ इसका न्यूनतम इनवेसिव होना है। यह प्रक्रिया कुछ ही मिनटों में पूरी हो जाती है और इसे आउटपेशेंट प्रक्रिया के रूप में किया जा सकता है, इसलिए मरीज को अस्पताल में रुकने की जरूरत नहीं होती। इसके साथ ही, इसके गंभीर दुष्प्रभाव होने का जोखिम भी कम होता है।




रेजूम थेरेपी प्रक्रिया

प्रक्रिया से पहले की तैयारी
रेजूम थेरेपी से पहले मरीज की पूरी जांच की जाती है, जिसमें प्रोस्टेट के आकार और स्थिति का आकलन शामिल होता है। साथ ही, डॉक्टर कुछ दवाइयाँ अस्थायी रूप से बंद करने की सलाह दे सकते हैं ताकि प्रक्रिया के दौरान रक्तस्राव का जोखिम कम हो।

प्रक्रिया के दौरान
रेजूम प्रक्रिया को स्थानीय एनेस्थीसिया या हल्के सेडेशन के साथ किया जाता है। एक विशेष उपकरण के माध्यम से प्रोस्टेट के लक्षित हिस्सों में पानी की भाप को इंजेक्ट किया जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर 15 मिनट से भी कम समय में पूरी हो जाती है।

प्रक्रिया के बाद और रिकवरी
प्रक्रिया के बाद कुछ असुविधा और मूत्र संबंधी लक्षण हो सकते हैं, जो धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं। कुछ मरीजों को अस्थायी रूप से कैथेटर की आवश्यकता हो सकती है। ज्यादातर मरीजों को दो हफ्तों में लक्षणों में सुधार महसूस होता है।




रेजूम थेरेपी के फायदे और नुकसान

फायदे
रेजूम थेरेपी के कई फायदे हैं। यह सर्जरी की तुलना में कम जोखिम भरी है और इससे रिकवरी भी तेजी से होती है। साथ ही, रेजूम थेरेपी से यौन क्षमता या मूत्र नियंत्रण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना कम होती है।

संभावित नुकसान
हालांकि, रेजूम थेरेपी के कुछ नुकसान भी हैं। जैसे कि कुछ मामलों में मरीजों को अस्थायी असुविधा का सामना करना पड़ सकता है और बहुत बड़े प्रोस्टेट के मामलों में यह प्रक्रिया उतनी प्रभावी नहीं हो सकती है।

रेजूम थेरेपी की अन्य उपचारों से तुलना
रेजूम, दवाइयों और सर्जरी के बीच एक संतुलन बनाता है। यह दवाइयों से ज्यादा लंबी अवधि तक राहत देता है, बिना दीर्घकालिक साइड इफेक्ट्स के।




क्या रेजूम थेरेपी आपके लिए उपयुक्त है?

रेजूम के लिए उपयुक्त उम्मीदवार
आमतौर पर, वे पुरुष जो मध्यम से गंभीर BPH लक्षणों से जूझ रहे हैं और कम इनवेसिव उपचार चाहते हैं, रेजूम के लिए अच्छे उम्मीदवार हो सकते हैं।

कब रेजूम उपयुक्त नहीं है
कुछ स्थितियों में, रेजूम उपयुक्त नहीं हो सकता है, जैसे कि अत्यधिक बड़े प्रोस्टेट के मामले में।

यूरोलॉजिस्ट से परामर्श लेना
सबसे महत्वपूर्ण बात, सही उपचार का निर्णय लेने के लिए यूरोलॉजिस्ट से परामर्श लेना जरूरी है। प्रत्येक मरीज की स्थिति अलग होती है, इसलिए एक विशेषज्ञ से परामर्श आवश्यक होता है।




निष्कर्ष
रेजूम थेरेपी BPH के इलाज में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। यह न्यूनतम इनवेसिव समाधान पेशाब के लक्षणों से राहत प्रदान कर सकता है, बिना बड़े ऑपरेशन की आवश्यकता के। यदि आप BPH से परेशान हैं, तो अपने डॉक्टर से रेजूम थेरेपी के बारे में पूछें और अपने लिए सही उपचार विकल्प की तलाश करें।

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